जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आप फंड के जरिये कंपनी बैंक या सरकार को लोन देते हैं बदले में ब्याज प्राप्त करते हैं

यह तो आप जानते होंगें की इस दुनिया में कुछ भी फ्री नहीं है, सेवाएं चाहे वह किसी भी प्रकार की क्यों ना हो जिसका हम उपयोग करते हैं, भुगतान अवश्य करते हैं, इसे ऐसे समझते है किसी व्यक्ति को आप एक निश्चित समय के लिए उधार देते हैं तो उससे कुछ राशि ब्याज के रूप में अवश्य लेते हैं.
हम एक पार्किग के लिए भी पैसों का भुगतान करते हैं, किसी व्यक्ति को दिए गए उधार पैसे के ऊपर एक निश्चित राशि और समय अवधि के लिए पैसे वसूल किया जाता है, यह मूल राशि के एक निश्चित अनुपात में होता है, इसे ही ब्याज दर कहते हैं.
बैंक, कम्पनियाँ और सरकारी संस्थाएं म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के जरिये डेब्ट फंड जुटाती ही (लोन या ऋण) लेती है, इस पैसो से व्यापर एवं परियोजनाओं में बढ़ोतरी करती है, बदले में निवेशकों (जनता) को ब्याज दर का भुगतान करती है. जैसे की बैंक आपके द्वारा किए गए फिक्स डोपोजिट (FD) पर आपको ब्याज प्रदान करती है उसी प्रकार कंपनी अपने द्वारा जारी किये गए बॉन्ड्स पर ब्याज प्रदान करती है. याद रखें जब बॉन्ड का मूल्य अधिक होगा तो ब्याज दर कम होगा.
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अस्वीकरण
(मनी टाइम वेबपोर्टल किसी भी तरह के निवेश पर जोर नहीं देता, कृपया करके निवेश से पहले एक्सपर्ट की राय अवश्य लें, शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड में वित्तीय जोखिम शामिल है)
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